अवनी लेखरा: भारतीय पैरालंपिक खेलों की सितारा
भारत में खेलों का इतिहास हमेशा से ही वीरता और संघर्ष की कहानियों से भरा रहा है। इसी कड़ी में एक नाम है अवनी लेखरा का, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और संघर्ष से पैरालंपिक खेलों में नया इतिहास रच दिया। अवनी न केवल भारतीय खेल जगत का एक चमकता सितारा हैं, बल्कि उन्होंने पूरे देश को गर्व करने का अवसर भी दिया है।
प्रारंभिक जीवन और चुनौतियाँ
अवनी लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। जब वह सिर्फ 11 साल की थीं, तब एक कार दुर्घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। इस दुर्घटना में उनके स्पाइनल कॉर्ड को गंभीर चोट आई, जिससे वह व्हीलचेयर पर निर्भर हो गईं। लेकिन अवनी ने इस हादसे को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि इसे अपनी ताकत बना लिया।
खेलों में प्रवेश
दुर्घटना के बाद अवनी का जीवन कठिनाईयों से भरा था, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। अवनी ने अपने पिता से प्रेरणा लेकर शूटिंग की ओर रुख किया। 2015 में, उन्होंने पहली बार शूटिंग को गंभीरता से लिया और नियमित अभ्यास करने लगीं। धीरे-धीरे, अवनी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया।
अवनी लेखरा की अंतर्राष्ट्रीय सफलता की शुरुआत
अवनी लेखरा ने 2017 में UAE में आयोजित शूटिंग प्रतियोगिता में भी जीत हासिल की थी। यह उनकी पहली अंतर्राष्ट्रीय सफलता थी, जिसने उन्हें आत्मविश्वास और प्रेरणा दी कि वह विश्व स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।
पैरालंपिक 2020 में स्वर्ण पदक
अवनी लेखरा ने 2020 टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रच दिया जब उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वह पहली भारतीय महिला बन गईं, जिन्होंने पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता। अवनी की इस सफलता ने उन्हें विश्वभर में मशहूर कर दिया और वह लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा बन गईं।
पैरालंपिक 2024 में स्वर्ण पदक
अवनी लेखरा ने 2024 में पेरिस में हुए समर पैरालंपिक खेलों में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। यह उनकी अद्वितीय शूटिंग कौशल और कड़ी मेहनत का परिणाम था, जिसने उन्हें एक बार फिर से दुनिया के शीर्ष एथलीटों में शामिल कर दिया।
निष्कर्ष
अवनी लेखरा का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ संकल्प हो और दिल में जीतने की इच्छा हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। अवनी ने अपने संघर्ष से यह साबित किया है कि हर मुश्किल को पार कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। वह सभी भारतीयों के लिए एक मिसाल हैं और उनका नाम हमेशा खेल जगत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।